...

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राह भटकी ङगरिया पर अगर तुम साथ जो देदो,
मुझे फिर बात करनी है अगर तुम रात जो देदो।
मैं अब भी साथ हूँ तेरे खङी दीवार के पीछे,
हम फिर से एक हो जाऐं अगर तुम हाथ जो देदो।।