2 Reads
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये ,
हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये ,
तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में,
जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. "
--- रबिन्द्र राम
#हक़ीक़त #फ़साना #हिज़्र #तिजारत #तसव्वुर #दहलीज #जाहिर