...

6 Reads

मंजिल पूरी हो जाए अगर 🚶

यह सत्य आप माने अथवा न माने, यहां कोई भी रिश्ता हो इस जीवन के सफर के अन्तिम छोड़ तक हर साथ छोड़ ही देता है बात बाद इतनी ही है वो भी मुसाफिर है हम मुसाफ़िर है जिनका मंजिल पहले आयेगा वो हमे पहले छोड़कर जायेगा , मृत्यु भी ऐसा ही अंतिम सफ़र है इस अंतिम यात्रा में या तो आप किसी को छोड़ देंगे या आपको कोई छोड़कर चला जायेगा जो आपको जीवन किसी राह में मिला था।

एक उदाहरण से इसे समझते हैं की जैसे कोई किसी कक्षा में पढ़ाई करता है तो दोनो की दोस्ती हो जाती है लेकिन वह अगली कक्षा में संकाय को बदल ले अथवा विद्यालय को बदल ले तो बहुत से दोस्त बिछड़ जाते है।

ऐसा प्रायः आठवीं, दशमी,बारहवीं,स्नातक और परास्नातक आदि में देखने को मिल जाते है जिसने कइयों के तो संकाय ही नही अपितु विद्यालय/महाविद्यालय / विश्वविद्यालय तक बदल जाते है।

और तो और ऐसा देखा गया है की किसी कक्षा में असफल होने से उनका मित्र अगले कक्षा में चले जाते है इस कारण से भी बिछड़ जाते है।

अन्य रिश्तों की बात करे तो किसी में आपसी मतभेद,स्थानांतरण,विवाह आदि से भी बिछड़ जाते है

विवाह की ही बात करे तो इसमें भी तलाक का अलगाव में एक अलग भूमिका होती है।

और इसी प्रकार से मंजिल पूरी होते ही साथ छूट जाती है।

अगर यह पोस्ट आपको पसंद आया है तो नीचे अपना कीमती सुझाव अवश्य साझा करें।





#writco #alone #memories #freindship