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ठीक इसी तरह निचाई
यदि आपको नीचे होनें का एहसास देती हैं
तो एकदिन उचाई भी आपको उंचें होने का एहसास देगी।
और उस दिन आप वाकई में उचे होनें से चूक जाओगे।


इसीलिए मैं कहती हूँ...

उचां उठना हैं किसी भी तरह से तो
ऊँचा उठना ही हैं..
तो ..
इतना ऊँचा उठो
के उचाई और निचाई का भेद ही खतम हो जाएं।
उचे और नीचे में कोई फ़र्क ही ना रह जाए।
धरा-गगन एक हो जाए...
द्वेत रहे ही ना कोई
सब अद्वेत हो जाए।

ऊचां उठना ही हैं
तो इतना उचां उठो
के उपर उठकर भी उंचाई तुम्हें छु ना पाए
नीचे रह कर भी निचाईं तुम्हें गिरा ना पाए। 🙂
उचां उठना ही हैं अगर,
तो इतना उचां उठो! 🙂

ऊँचाई से भी उंचें तुम बनो
उचां उठना ही हैं अगर 🙂।


9.09pm
16.6.2024