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#Notorape no rape.....
कभी कभी मैं स्वयं के हृदय को मौन पाती हूं, वह मौनता शब्दो का अंतिम बिंदु नही होती है बल्कि मेरा आंतरिक मन क्षीण होता है और मौन होकर भी नाजाने कितने ही प्रश्न करता है वह चुप्पी दुनिया की खिन्नता और बेहरमी से डराती है मुझे, और बार बार चिल्ला चिल्ला के प्रश्न करती है
हर बार शिकारी महिला ही क्यों बने ?
जब शस्त्र से युद्ध संभव है तो शारीरिक प्रताड़ना क्यों?
युद्ध हमेशा पुरुषो का हो शारीरिक शोषण मेरा क्यों ?
स्त्री हूं मैं भोग नहीं.........
फिर क्यों मनोरंजन और उत्पाद बना दी जाती हूं??
यह प्रश्न मैं हर उस पुरुष से करती हूं जो इन सब में भागीदार है क्या वह दे पाएंगे जवाब ??