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अपनी क़ातिल निगाहों से सनम,तुम यूँ मुझे बेताब ना करो.. शीतल माहताब हूँ मैं,यूँ मुझे जलता हुआ आफ़ताब ना करो.. तेरी दिलकश अदाओं से कब तक बचेगा ये नादां आशिक़.. कोरा कागज़ है मेरा दिल तुम इसे यूँ रंगीन किताब ना करो..❤❤
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