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साल दर साल,साल बदला है
बस क़ैलेण्डर का हाल बदला है

कर दिया मौसमों को शर्मिंदा
यार तू भी कमाल बदला है

मैं नहीं बदला मेरे बारे में
बस तुम्हारा ख़याल बदला है

हम चले नक़्श-ए-पा पे गांधी के
हम ने थप्पड़ पे गाल बदला है

जैसे-तैसे तो हल निकाला था
जी़स्त ने फिर सवाल बदला है

फ़र्ज़ बनते हैं इक पति के भी कुछ
माँ को लगता है लाल बदला है

हम भी कुत्ते की पूछ थे ‘मौजी’
ख़ुद को साँचे में ढाल बदला है
@Manmauji
#Shayari #gajal