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यक़ीनन...
ठहरे हुए हैं आज भी
कुछ लम्हें जिंदगी में
तुम बेशक साथ नही हो
मगर
तुम्हारे सपने आज भी
मेरे साथ हैं
मेरे पास हैं
भटक जाता हूँ कभी
अपने ध्येय से
जो था सोचा
हमारे उस
विधेय से
पर
हर बार ही
रोका है
मुझे
उस अलौकिक
पाश ने
न होते हुए भी
तुम्हारे होने के अहसास ने
स्मृतियों में
रहने योग्य
हृदय में ही रहते हैं
और कौन है यहां
एक उस हृदय के सिवा

©akash kr 'अक्स' 💕®