...

24 Reads

आधे घंटे बाद राजीव ने माला खरीदी और घर के लिए छोटे से गणेश जी भी और पता ही नहीं पड़ा कब घर आ गया शायद ये गणेश जी की कृपा थी राजीव ने जल्दी से घर मे पहुंचकर एक साफ़ कपड़ा बिछाया उस पर गणेश जी को विराजित करा
सुनयना का काम अब तक हो चुका था
सुनयना और राजीव दोनों ने गणेश जी को हाथ जोड़े
और फिर भोग अर्पित करा
राजीव ने माला पहनायी
जाने क्यों सुनयना की आँखों से आंसू शुरू हो गए
क्या हुआ सुनयना तुम ठीक तो हो ?
हाँ मैं ठीक हूं पता नहीं भगवान का काम करने और उनके दर्शन करने पर लगा सब उदासी गायब हो गयी
ये सुनकर राजीव मुस्कुराया और सुनयना को गले लगाया
सुनयना और राजीव ने मिलकर गणेश जी आरती की फिर प्रसाद ग्रहण करा
राजीव की दुकान मे काम आने लगा साँस लेने की फुर्सत नहीं थीं
सुनयना का बहुत समय से सपना था लेखिका बनने का पर कोई गाइड करने वाला नहीं था कोई ना कोई अड़चन आ रही थीं
राजीव ने फोन करके कहा मैंने सुना तुम लेखिका बनना चाहती हो जितना मुझे आता है उतना बता दूँगा और बाकी गणेश जी की कृपा तो रहेगी ही
सुनयना बहुत कामयाब लेखिका बनी लोग उनके शब्दों से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते ।

समाप्त
30/8/2024
5:29 शाम