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बग़ावत ज़्यादती के ख़िलाफ़, ज़रूर उठेगी,
बेरहम हुकूमत घुटनों के बल, ज़रूर झुकेगी,
रोक रही जो चिराग़ों को, जगमगाने से अब,
तकब्बुर से भरी वो आँधी भी, ज़रूर रुकेगी।
#मानव_दास_मद✍️