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हम कितने नासमझ थे सौ दफ़ा नज़रो-अंदाज़ के बाद हज़ार दफ़ा बदसलूकी के बाद लाख दफ़ा ज़लील होने के बाद हमें समझ आई- जो हमें रुहानी लगता था, वो मोहब्बत तो सिर्फ जिस्मानी था #Shayari #Love&love
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