...

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सोचा तुझे आज एक चिट्टी ही लिखदूँ...
मेरे मन के कोने से हर ख्वाहिश को तुझे इश्क़ में लिखदूँ ..

सोचा तुझे आज तेरी खुशबू को इत्र से लिखदूँ ...
मेरे हर पसंद को तुझे मोहब्बत के हर पन्नों में लिखदूँ...

सोचा तुझे मैं तेरी हसीं को इबादत में लिखदूँ ...
मेरे कलम के स्याही में तुझे नूर _ऐ _जहान में लिखदूँ...

सोचा तुझे आज मैं....
उस खुदा के हर दुआ में शामिल में लिखदूँ....

सोचा तुझे आज एक चिट्टी ही लिखदूँ.......

नूर _ऐ _खुदा...
सब दुवाएँ मुक़म्मल हो जाए...
मेरे हर मन्नत इबादत बन जाए...