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मेरी आह सुन मैं हूँ बेज़ुबाँ नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।
तेरी ख़ैरियत मैं हूँ चाहता नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।
न तू दूर है न करीब है, मेरा अब यही ये नसीब है।
तेरे ख्वाब भी न मुझे दिखा नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।
तुझे चाहता था मैं उम्र भर तुझे माँगता था मैं उम्र भर।
तेरी आरजू का चले पता नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।
मेरी जिंदगी में हज़ार ग़म मेरी जिंदगी में ख़ुशी भी कम।
हो गुमान बस तेरे साथ का नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।
जिस मोड़ पे था भुला दिया मेरे इश्क़ का ये सिला दिया।
हो शुरू वहीं से ये सिलसिला नहीं और कुछ मैं हूँ माँगता।