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किसी रात की बात खास कुछ यूं भी होगी..
किसी की सौगात रात वो साथ याद कुछ तो होगी..
वो हाथों में हाथ थामे यूं भी चले थे..
वो लम्हों में करहाते दो दिल बैचेन मिले थे..
कहीं आंखों से जज़्बात यूं झर रहे थे..
वो पहलू में बैठ जब अपना दिल ए राज बोल रहे थे..
वो तकती हुई आंखों की हरारत हमने पढ़ी थी..
वो थमती रूकती सांसों की थिरकन हमने सुनी थी..
वो हर बात पर पूछ लेना कहो कुछ..
वो सन्नाटे में उसकी दिल की भी हलचल बढी थी..
वो पूनम की रात में चांद ले आए थे..
कभी जिसको देखा फलक पर उसे जमी पर ले आए थे..
बड़ा रूला देती है यूं तोड़ देती है..
हकीकत की दुनिया कहीं का नहीं छोड़ती है..
चले साथ हम तो सफ़र आसान होता..
तू ना सही साथी पर मैं हमेशा साथ होता..
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