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इंसान थक रहा है 😔जो जिंदगी उसे जीनी है,जैसे जीनी है, वैसे वो जी नहीं पा रहा है। क्योंकि, दुनिया खुद की तरक्की से ज्यादा दूसरों को रोकने की कोशिश ज्यादा कर रही है। खुद को बेहतर बनाने के बजाय, दूसरों से बेहतर होने की , कोशिश कर रहे हैं।
क्या यह सही है ?
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