...

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कभी मेरे पुराने पुस्तकों मे मिले,
कभी मुझे मेरे ख्वाइश के नगरी मे मिले...
मिले तो बस मुझे ऐसे मिले...
हर बार मिले जैसे मिले...
वैसे मैंने सजाकर, संभलकर रखा था..
बस वैसे मुझे हर बार मिले.....

#ख्वाहिश
#मोरपँख