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कुछ रिश्तो को संभालते संभालते
जैसे खुद ही टुट गई
जिंदगी में सब कुछ है मगर
फिर भी कुछ छुट गई
ना तकलीफों की कमी थी
और ना ही लोगो कि
बस बात इतना है की हमारी बात तो समझे
पर जज्बात को ना समझ पाए
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कुछ रिश्तो को संभालते संभालते
जैसे खुद ही टुट गई
जिंदगी में सब कुछ है मगर
फिर भी कुछ छुट गई
ना तकलीफों की कमी थी
और ना ही लोगो कि
बस बात इतना है की हमारी बात तो समझे
पर जज्बात को ना समझ पाए