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एक वक़्त ऐसा होता है, जब हमें लगता है कि जिंदगी में जो भी तकलीफ और परेशानियाँ है सब सही हो जायेगा और हम कोशिश भी करते रहते है सब सही करने मगर जैसे जैसे वक़्त गुजरता है, हिम्मत टूटती है और एहसास होता है कि कुछ सही नहीं हो सकता तब ये एहसास होता है कि जो किताबों में लिखी है या लोग समझाते है कि " सब्र का फल मीठा होता है" या " कर्म करो फल कि चिंता ना करो " सब बेबुनियादी, और बेतुकी बातें है...