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एक सामान टूट जाए तो यूँ लगता हैं जानें जैसे पहाड़ टूट गया सिर पर, मग़र इंसान टूट कर चकना चूर हो जाता हैं
फरक नहीं पड़ता जगत को।
हम इस जगत में रहतें हैं!
और लोग मुझसे पूछते हैं
आपने संसार त्याग दिया ना...
त्यागने सा यहां हैं क्या?
और पानें सा भी यहां हैं क्या?

संसार नहीं त्यागा हैं मैंने,
त्यागा मैंने अपना 'एकांत' हैं
जो बहुत ही अमूल्य वस्तु हैं मेरे लिए।
त्यागा मैंने 'मौन' हैं।
धर्म के लिए!

3.9.2024
2.15pm