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// #रुपए_के_रूप //
रुपए की खनक रूपए की ठनक,
रुपए की कसक रुपए की ठसक;
नित नाचे दुनिया दिनभर भरसक,
दो टके कमा के दिन रात सार्थक।
रुपए की झलक सत्ता की धमक,
हर दिल में उठे पाने की कसक;
पाने के बाद इन्सान जाता बहक,
सात पीढ़ियां उसकी जाती महक।
रुपया भी बदलता अपने रंग रुप,
कभी मेरे तो कभी तेरे अनुरूप;
कभी सफ़ेद कभी काला कुरुप,
फितना बड़ा भरे अतिरेक बहरुप।