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झूठ-मूठ वादे करके मुकर गया होगा
वो तभी तुम्हारे मन से उतर गया होगा

पुल भी बाँधे उसने तारीफ़ों के सलीक़े से
और लाज भी उसकी धूर्त हर गया होगा

तुमको बस वही बातें याद आ रही होंगी
जाते-जाते वो जो कुछ,बोलकर गया होगा

खींचा-तानी उल्फ़त में,इस क़दर हुई जिससे
तुम बिखर गई होगी वो,निखर गया होगा

राह पर मिला भी तो अजनबी के जैसे ही
देखती रही तुम पर वो,गुज़र गया होगा

बावजूद नज़रों को जुस्तजू उसी की थी
वो इधर नहीं शायद वो उधर गया होगा

एक बार ख़्वाहिश पूरी हुई जो उसकी तो
तुम बिगड़ गई होगी वो,सुधर गया होगा
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वज़्न - SlS lSSS SlS lSSS