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मेरे हालात पूछ कर मुझे बेबस न बनाइए
जमाना जानता है की कितना सख्त हूं मैं
महफिलें लाख भारी हो लेकिन
मैं अपने दर्दे जाम छलकने नहीं देता
जख्म गहरे दिए तुमने तो दर्द भी गहरा होगा
पर दर्द को छुपा कर मुस्कुराता हूं मैं
मुस्कुराने की वजह से ही
महफिलों में जाना जाता हूं मैं।
©नीरज मिश्रा "नीर"
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