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आज शहर में इतनी रोशनी क्यों है,
कहीं चाँद ज़मीं पर तो नहीं उतर आया..
सचमुच "चाँद" ही तो उतर आया था ज़मीं पर,
क़ुदरत ने इस क़दर था जो तुमको सजाया..
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आज शहर में इतनी रोशनी क्यों है,
कहीं चाँद ज़मीं पर तो नहीं उतर आया..
सचमुच "चाँद" ही तो उतर आया था ज़मीं पर,
क़ुदरत ने इस क़दर था जो तुमको सजाया..