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तरह तरह की मिठाई बनाई और साथ ही इंतजार करने लगी कब भाई आएगा
11.15 पर दरवाजे की घंटी बजी सुरेखा के दरवाज़ा खोला सामने भाई खड़ा था
बहन को गले लगकर भाई ने चरण छुए राखी बांधने का मुहूर्त शाम का था. सुरेखा ने भाई के लिए खाना परोसा अखिल ने हाथ मुँह धोए और डाइनिंग टेबल पर बैठ गया
अखिल खाना खाने लगा
दीदी खाना बहुत ही अच्छा बना है सुरेखा मुस्कुरा दी
अपने दुःखों को मुस्कान के पीछे छुपाने की कोशिश कर रहीं थीं
आप ठीक तो है ना दीदी क्या हुआ मैं आपका दोस्त भी हूं
छोड़ ना ये बात कुछ बातों का कोई जवाब नहीं होता
यानी आप और जीजू मे बनती नहीं
सुरेखा कुछ नहीं बोली बस अनवरत आंसू शुरू हो गए
अखिल को कहा मैं शेखर नाम के शख्स को प्यार करती थीं पर परिवार ने हम दोनों को अलग कर दिया और मेरी शादी उस इंसान से हुई जो पीने का आदी है माँ पापा ने मेरे प्यार को भले मना करा पर ऐसे से क्यों शादी करायी जो जो मन मे आए करते मेरी इच्छा नहीं पूछी कभी मैं नहीं चाहती थीं ये सब बताना पर तुम्हारे पूछते ही सब्र का इम्तेहान टूट गया सॉरी
सॉरी मत बोलिए दीदी मैं समझता सकता हूं आपका दर्द
शाम को सुरेखा ने अखिल को राखी बांधी और मिठाई खिलाई
दीदी आप कुछ काम करने लग जाइए ताकि आपको कोई बात परेशान ना करे भगवान आपको खुशी प्रदान करे ये प्रार्थना है दोनों मंद मंद मुस्कुरा दिए ।
समाप्त
19/8/2024
5:20 शाम
Pic Credit - CreArt