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मोहब्बत कर तो लें हम जो दम हो किरदार में
यूं हुस्न तो कौड़ियों में बिक रहा है बाजार में
उसके सिवा किसी को कुबूल नहीं करता दिल
तां'ता लगा रहता है हमारे उजड़े बिखरे दयार में
इतना मशगुल हो गए हैं नए रिश्तों में कि अब
शायद कंधा भी ना दे पाएं जनाज़ा ए यार में
इश्क कितना मुकम्मल हो रहा खुद सोच लीजिए
शरीक- ए- हयात ढूंढने लगें हैं लोग अख़बार में
जैसी है वैसी ही इसे गुज़ार लीजिए वरना
जिंदगी गुजर जाएगी अच्छी के इंतजार में
मैने किसी से नहीं लगाया सो बचा हुआ है
दिल कौन लगाता है आजकल के प्यार में
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© Ishan Khan