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मेरे ग़म के दयार हैं साहब
जो मेरे गम-गुसार हैं साहब

आपके संग जो गुज़ारे हैं
दिन वही यादगार हैं साहब

वो गुलाबों सी जो कली है ना
उसके दामन में ख़ार हैं साहब

हाँ नहीं था कभी समय पर मैं
गलतियां कीं हजार हैं साहब
पर मेरी बात भी समझिए तो
मेरे वालिद बीमार हैं साहब

उनकी महफ़िल में हैं सभी आए
हम ही बस दरकिनार हैं साहब
खैर जाने दें कोई बात नहीं
वे तो अपने ही यार हैं साहब

आप में एक ही कमी है बस
आप ईमानदार हैं साहब

'शम्स' रंगों में डूबे हैं केवल
वे असल में सियार हैं साहब

-आदित्य तिवारी 'शम्स'

नवीन तख़ल्लुस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद @naakaam सर🙏🙏

दयार : दुनिया
गम-गुसार : गम बांटने वाले
ख़ार : कांटे

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