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शब्दार्थ : उरूज = बुलंदी * क़ायम = स्थिर
उमर = इस्लाम के दूसरे ख़लीफ़ा
(जिनके दौर में सबको बराबर न्याय और रक्षा प्राप्त थी)
राइज = चलन * निज़ाम = व्यवस्था
शुगून-ए-नेक = शुभ घड़ी * बेवा = विधवा
इख़्तिताम = समापन * इंन्तिज़ाम = प्रबंध
रविश = गति * पयहम = निरंतर
ओज-ए-सुरैय्या = कृतिका नक्षत्र की बुलंदी
#sukhanwar #ग़ज़ल #जिहालत