...

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" यादों के सफर में



जीवन यात्रा उम्मीदों से हो प्रारम्भ,
अनुभवों पर समाप्त होती है।
ज़िंदगी आगे बढ़ती चली जाती है-
सिर्फ स्मृतियाँ ही शेष होती हैं।।

मेरा जन्म हुआ इस जीवन मे
लोगों की उम्मीदें भी साथ आईं।
उम्मीदों पर मैं खरा उतरा या नहीं-
स्वजनों बताओ तो भाई......।।

अतीत परछाई सा, रहे साथ सदा;
अतीत जीवित सिर्फ है यादों में।
नश्वर शरीर मेरा,आपका,सबका;
हम सब सिर्फ जीवित रहेंगे यादों में।।

यादों का सिलसिला, सब व्यर्थ;
क्योंकि यह अतीत है जनाब।
अतीत,बीत चुका है जनाब...
बतलाये इसे याद करने का क्या अर्थ।

यादों के सफ़र में,अच्छी-बुरी दोनों यादें;
दोनों का कर्म ही है आधार.....।
यादों के इस सफर में कैसी यादें चाहते-
समझदार हैं ,स्वयं ही करें विचार।।

कहते जनाब अति सदैव बुरी है;
अतीत में डूबे मत रहो.....।
आगे बढ़ने का नाम ही जीवन है-
यादों के सफर में न डूबे रहो।।

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नेहांश कुलश्रेष्ठ
उज्जैन(मध्यप्रदेश)