...

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एक सैनिक की गाथा
मिट्टी मेरी शान है,
यूनिफॉर्म मेरी पहचान है,
भारत माता की रक्षा ही कर्तव्य मेरा,
देश का सिपाही हूँ; बलिदान ही मान मेरा।

सरहद पर चौबीसों घंटे तैनात रहकर फर्ज निभानी है,
राइफलों के साथ ही जिंदगी बितानी है,
सरहद को ही अपना घर माना है मैंने,
देश का सिपाही हूँ; देशभक्ति का जुनून सर पे सवार लिया मैंने।

दुश्मनों की परछाई से भी नफरत करते हैं,
जंग का ऐलान करने में कभी नहीं डरते हैं,
मौत का खौफ कभी नहीं सताता मुझे,
देश का सिपाही हूँ; वतन के लिए मर मिटना स्वीकार है मुझे।

परिवार जनों से कोसों दूर रहते हैं,
त्योहारों को सभी भूल बैठे हैं,
राष्ट्रप्रेम ही एकमात्र ख़्वाहिश मेरी,
देश का सिपाही हूँ; तिरंगे की शान लकीरों से जुड़ गई मेरी।

तिरंगे में लिपट के आने का घमंड है मुझे,
राष्ट्र पदक को अपने नाम करने का शौक है मुझे,
अमर रहे मेरा बलिदान सदैव ऐसी ख़्वाहिश करता हूँ,
देश का सिपाही हूँ; वतन के नाम अपनी कीमती जिंदगी करता हूँ।

देश भूमि को ही अपना स्वाभिमान समझता हूँ,
वतन की मिट्टी को ही पावन समझता हूँ,
मां-बाप का लाल आज भारत माता का सपूत बन गया,
देश का सिपाही हूँ; वतन पे मिटने वाला अमरदीप बन गया।

© Heena Punjabi