...

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मेरी कहानी का नाम
मेरे घर के बड़े बुजुर्ग हमे बहुत समझाते थे,
महोब्बत ना समझो का खेल नही है,
ओर हम यही खेल खेल रहे हैं।
महोब्बत में हम जिस पर जान लुटाते है,
उसने महोब्बत में हक़ से हमारी जान ही लेली,
जिस्म का हक सांसो पर था,
तो जिस्म ने सांसे कैद करली,
मेरे हक में फकत कुछ शेर बचे,
तो जम शायर बन गए।
मुझे रोना नही आता , मै रो रहा है,
मै रोना नहीं चाहता ओर मुझे बस रोना आ रहा ह,
मेने खुद के कंधों पर सर रखकर रोया है,
ए मेरे साये तू भी मेरे कंधे पर सर रखकर रोले।
मै बहुत जल्द इस काली अंधेरी रात की गिरफ्त में आने वाला हु,
मेने चिरागों पर बड़ा जुल्म डाया है,
मेने चिरागों के हक के सारे शेर उसके नाम लिखे हैं,
मेने इन चिरागों पर शेर नही लिखे,
चिराग उसे दिन में भी रोशन कर रहे हैं,
जिस पर मैने शेर लिखे।
मेने जैसे तैसे दिल की कहानी तो लिख दी,
इस कहानी का क्या नाम होगा,
मेरे यारो कहानी का नाम तुम सोच लेना,
मेने यह कहानी भी उसके हक में लिख दी।
© Verma Sahab

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