तक रही हु राह...
तकती हु राह मैं अपने सूरज की,,,
अपनी रोशनी में वो मेरा सवेरा लाएगा...
टूटे थे जो सपने नींद में,,,
आंख खुलते ही सच उन्हें बनाएगा...
राजा मेरा रहता है अंधेरों में,,,
हाथ पकड़कर उसे उजालों में लेकर आएगा...
कसमें, वादें और कुछ रस्में निभानी हैं मुझे,,,
अपने तेज की अग्नि से मेरे सात फेरे मेरा सूरज लगवाएगा...
ओढ़ लूंगी मैं सुहागन का रंग,,,
तक रही हूं मैं जिस सूरज की राह,,,
जिस दिन उस सूरज का उदय हो जाएगा...
© vandana singh
अपनी रोशनी में वो मेरा सवेरा लाएगा...
टूटे थे जो सपने नींद में,,,
आंख खुलते ही सच उन्हें बनाएगा...
राजा मेरा रहता है अंधेरों में,,,
हाथ पकड़कर उसे उजालों में लेकर आएगा...
कसमें, वादें और कुछ रस्में निभानी हैं मुझे,,,
अपने तेज की अग्नि से मेरे सात फेरे मेरा सूरज लगवाएगा...
ओढ़ लूंगी मैं सुहागन का रंग,,,
तक रही हूं मैं जिस सूरज की राह,,,
जिस दिन उस सूरज का उदय हो जाएगा...
© vandana singh