...

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"तृष्णा"


खुशी के रंग होते तो लगाती तुम्हें,
झलकना क्या होता है सिखाती तुम्हें।
सौ सरहदों के पार मिलतें हैं मुकाम,
हांथ पकड़ वहां ले जाती तुम्हें।

आज़ाद परिंदों के घौंसले...