...

6 views

दीवारें
खामोश होती है
जब यह दीवारें
विचारों को मेरे चैन
नहीं आता है तब।
हो भले ही बिस्तर पर
मेरे मूंद पड़े नैना
तो ख्वाबों को भी आने का
चुपके से
मिल जाता है मौका तब।।
सुनहरी धूप का अंदाज
उस आंगन
को शांत करें
अनकहे लफ्ज़ों की
बौछारें,
खामोश होती है
जब यह दीवारें।

© InduTomar