वह सुगंध
क्या रखा है तेरे इस बिखरते गुलाब में माली
जिस महक का प्यासा था मन,
वो तो, दूर कहीं चली गई
मेरी आस टुटी इस माटी में जाने कहां है जा छुपि
धरा के महल न देखे अब तक किसी ने
खिलते हैं बिखरते हैं सुगंध झौंके
खुलते हैं जब...
जिस महक का प्यासा था मन,
वो तो, दूर कहीं चली गई
मेरी आस टुटी इस माटी में जाने कहां है जा छुपि
धरा के महल न देखे अब तक किसी ने
खिलते हैं बिखरते हैं सुगंध झौंके
खुलते हैं जब...