...

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बादल आवारा
चाँद तारों को
अपने आगोस में ,भरनेके लिए
बादल कब से बेक़रार है "..

कभी छुपते है तो कभी निकलते है,
ये आँख मिचोली भी लाजवाब है"..

चाँद भी बहुत मस्तीखोर है
करने को परेशान बादल को
क्या क्या पैंतरा आजमाते है"..

चाँदनी भी चमकती रहती है,
कभी इस ओर तो ,
कभी उस ओर है"..

डराते रहते है बार बार
बिजली भी बादल को ,
कड़क भड़क कर ,
बादल बेचारा बहुत कंफ्यूज है "..

तड़कने ,भड़कने ,गरजने
लग गए है,अब बादल भी ,
ना जाने उन्हें किस बात की गुरूर है "..
चढ़ा ये कैसा उनको सुरूर है"..