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वो अपने सिर को ,तकिए से लगाना
अपनी काया को, बिस्तर पर, अहिस्ते से फैलाना
और थोड़ी देर तक, ऑंखों में नींद न आना
उस दरम्यान ,तेरे ख्वाबों को सजाना
हकीकत से परे है ,मेरे इश्क को ,इन लफ्जों में बताना
रेत से लिखी है ये दास्तां मेरी ,असां है इसको आब से मिटाना
स्याह से लिखने कि कोशिश भी की,
मगर मुश्किल था, जज्बातों का ,लबों तक आना


© Danish 'ziya'