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✍️ ये क्या हो गया .....?
✍️ 📖 🔖
खो गया नूर मुस्कुराहटों से
कविता की रंगत फिकी हो गई
कैद थे एक उम्र से जो आँखों में
वो जज़्बात खारे हो बह गए...
भूल गए जैसे हम लिखना
कलम ये बेजान हुई
पिरोना चाहते थे
जिनको सलीके से तहरीरों में
वो लफ्ज़ अब अनजान हुए....
धुंआ हो उड़ गए जैसे, फ़िर भी
बोझ मन के सब अरमान हुए
कैसे ये बरसों के इंतज़ार में घुले
लम्हें सारे ख़ाक में एक हुए...
© संवेदना 🌼
✍️
#पुरानी_कलम
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