...

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तेरी खुशी के खातिर हम मर जाते
ना इस कदर टूट के हम बिखर जाते,
अगर तुम और एक पल ठहर जाते!!

उम्र भर रहता था साथ यू ही हमारा,
अंज़ामी इश्क से तुम ना सिहर जाते!;

वाकिफ कहा हों तुम जुनूँ-ए-इश्क से,
तेरे खातिर हम हर हद से गुज़र जाते!!

आज़मा लेते अगर तुम इश्के-वैदिहि,
तेरी खुशी की खातिर हम मर जाते!!
© वैदेही