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बस इसी सोच में डूबी हूं 😌
बस इसी सोच में डूबी हूं
की कब तू आएगा
मुझे कसके अपनी
बाहों में भर अपने होठों
के प्याले से पिलाएगा
अपनी जान को बाहों में
भर सारी रात जन्नत की
सैर कराएगा आंहो
से आंहे मिलाकर फेर
मेरे पिघलते जिस्म में
उतरता जाएगा कामरस
का रस मेरे बदन पर
लेप की तरह लगाकर
अरमानों जाएगा और सारी
रात घुड़सवारी भी तो
करवाएगा पसीने से लत
पत होकर मुझे महकाएगा
फेर कमसिन बदन को...