एक इच्छा जो मन में ही रह गई
क्या एक पहेली बनकर ही
रहना होगा ज़िन्दगी भर
न कभी किसी ने बुझायी इसे
न कभी किसी ने जाना हैं
की सच्चा चरित्र कुछ अलग हैं बना
बाहरी रूप आतंरिक नहीं है
उम्मीद ने मन को ठेस पहुंचाई
कि शायद कोई जान पाएगा
एक बार मन में झांककर वो
सच्चाई देख समझ पाएगा
पर अब आदत हो गई हैं
बार बार गलत समझे जाने की
शायद किसी ने सही कहा हैं
खुदको खुदसे बेहतर न कोई जानता हैं
© Sri_D
रहना होगा ज़िन्दगी भर
न कभी किसी ने बुझायी इसे
न कभी किसी ने जाना हैं
की सच्चा चरित्र कुछ अलग हैं बना
बाहरी रूप आतंरिक नहीं है
उम्मीद ने मन को ठेस पहुंचाई
कि शायद कोई जान पाएगा
एक बार मन में झांककर वो
सच्चाई देख समझ पाएगा
पर अब आदत हो गई हैं
बार बार गलत समझे जाने की
शायद किसी ने सही कहा हैं
खुदको खुदसे बेहतर न कोई जानता हैं
© Sri_D