एक इच्छा जो मन में ही रह गई
क्या एक पहेली बनकर ही
रहना होगा ज़िन्दगी भर
न कभी किसी ने बुझायी इसे
न कभी किसी ने जाना हैं
की सच्चा चरित्र कुछ अलग हैं बना
बाहरी रूप...
रहना होगा ज़िन्दगी भर
न कभी किसी ने बुझायी इसे
न कभी किसी ने जाना हैं
की सच्चा चरित्र कुछ अलग हैं बना
बाहरी रूप...