...

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खुशियाँ क्या है...?


किस एहसास को हम खुशियाँ कह के अपना लेते हैं,
किस जज़्बात को हम उम्मीद कह के ठुकरा देते हैं,
ये उमीदें ना हो,
तो जीने का मकसद क्या होगा,
खुशियों के परे जो दुःख ना मिले,
तो सोचो ख़ुशी का एहसास कहा से होगा,
जो लेता है वो देना जानता है,
जो देता है वो सोचो हमें कितना मानता है...
जो उमीदें ना छेड़ें हमें,
तो हिम्मत कहा से आएगी,
जो हिम्मत ना आई,
सोच कितने कदम तू और चल पाएगी...
जो है उसको क्यों ना वैसा ही अपना लें,
जो चाहते हैं क्यों ना उसको पाने का प्रयास करें,
जो खो चुका उसपे नीर बहाना छोड़ दो,
किसी अनचाहे रास्ते पे अपना मन मोड़ लो....
आगे क्या है कोई नहीं जानता ,
पीछे जो गया वो जाना था,
ये कोई नहीं मानता,
पर यही दुनिया की रीत है,
सबके होठों पे ज़िन्दगी का अनोख़ा गीत है,
जिसे हर दिल को दोहराना ही होगा,
मुस्कुराहट से सजाना ही होगा...

" इस ज़िन्दगी के इम्तेहान को,
खुशियों की सियाही से भरना,
कितना भी ग़म की पनाहों में हो,
उसे अपनी किस्मत के करीब ना करना..."