खुशियाँ क्या है...?
किस एहसास को हम खुशियाँ कह के अपना लेते हैं,
किस जज़्बात को हम उम्मीद कह के ठुकरा देते हैं,
ये उमीदें ना हो,
तो जीने का मकसद क्या होगा,
खुशियों के परे जो दुःख ना मिले,
तो सोचो ख़ुशी का एहसास कहा से होगा,
जो लेता है वो देना जानता है,
जो देता है वो सोचो हमें कितना मानता है...
जो उमीदें ना छेड़ें हमें,
तो हिम्मत कहा से आएगी,
जो हिम्मत ना आई,
सोच कितने...