...

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आमद शहर में तेरे
#मयखाने

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
लगते खाली खाली से ये पैमाने हैं

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
फिजा़ओं में गूंजे वही तराने हैं
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
लगते ताज़ा वही फ़साने हैं

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
देने तुझे कुछ अवाचित ख़त पुराने हैं
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
कभी किये थे जो,वो वादे तुझसे निभाने हैं

जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
क्यूं बदले-बदले तेरे ठिकाने हैं
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
न मिलने के तेरे रोज़ नये बहाने हैं

© random_kahaniyaan