...

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जिन्दगी
एक जिन्दगी से आस है,
कुछ कर जाने की प्यास है।
मैं अपनी मंजिल की राह पर हूँ,
पर ये जिन्दगी की क्या चाह है?, पता नहीं।
है कठिन ये डगर, मगर जो हिम्मत है साथ,
नहीं मुष्किल जीतना जिन्दगी के अवरोधों से।
किस्मतें हम स्वयं ही रचते हैं,
बस एक दृढ़ संकल्प चाहिए लड़ने के लिए जिन्दगी के अवरोधों से।
मंजिल दूर नहीं है बस एक प्रयास की ज़रूरत है ,
जिन्दगी हमारे संघर्षों का नाम ही तो है ।

:दिव्य प्रकाश मिश्र
© Divya Prakash Mishra