...

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#अश्क
#अश्क
हमारे बहाये अश्कों का हिसाब रखता कौन है
हमारे दिल पर जो बीती उसे समझता कौन है
अंधेरी रातों में आशिकों के सिवा जागता कौन है
वो सामने आ भी जाएं तो हाल अब पूछता कौन है।

उनके शहर से गुम हो जाएं तो ढूंढता कौन है
त्योहारों को छोड़कर दिये अब जलाता कौन है
उनके साये को भी अब देखता कौन है
तस्वीरें उनकी रखी है सिर्फ दिल बहलाने को पर नागर जलाता कौन है।

मुसाफिरों के आसियानो का पता रखता कौन है
जंगल में दरखत बड़े कैसे हुए देखता कौन है
इस सितमगरों की दुनिया में रहम करता कौन है
हमने अब रास्ते बदल दिए पर कमबख़्त मानता कौन है।।







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