सुनो सहेली !
सुनो सहेली, तुम स्याही और पन्नो की कोरी शहज़ादी हो।
मेरी उल्झी कहानी को बुनती हुई, कल्पना की दीवानी हो।
मेरे जीवन अनुभव को भीतर-ही-भीतर સમેટી हुई, हमसफ़र हो, जीवन-सारनी हो।
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मेरी उल्झी कहानी को बुनती हुई, कल्पना की दीवानी हो।
मेरे जीवन अनुभव को भीतर-ही-भीतर સમેટી हुई, हमसफ़र हो, जीवन-सारनी हो।
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