...

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हमेशा खुश रहना तुम
मैंने कभी नहीं चाहा,
तुम्हें दर्द में देखना,
आज भी नहीं चाहती हूँ,
कभी तुमने खुद से जुदा किया था मुझे,
आज में खुद से आज़ाद करती हूँ तुम्हें,
दर्द जो तुम लौट के सह रहे हो,
वो मैंने तुम्हारे चले जाने पे सहा था,
और आज जब तुम दावा करते हो
टूट के भी मुस्कराने का,
तो देखना कभी मेरी मुस्कराहट को,
जो आँखों के काले घेरे छुपाती है,
फिर लौट जाना अपनी दुनिया में तुम भी,
जहाँ मेरा कोई वज़ूद ना हो, मेरी कोई याद न हो,
और करना कोशिश खुश रहने की तुम भी,
मैं दुआ करूंगी तुम्हें जहान की हर खुशी मिले,