...

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!...Dard–E–Pinha...!
सुनते है बेवफाओं को मिलते है हजारों दिल
पर क्यूं नही इक दिल से तेरा दिल नही भरता

हमने भी सर फोड़ लिया दिल अपना लगा के
हर और बहुत दिल है मगर दिल नही लगता

ये इश्क फरेबी है बहुत, पर दिल से रफु है
मैने चाहा की भूला दू, मगर दिल नही करता

इक आग लगी है मेरे शब ओ सुबह में
हर लम्हा तो जलता हूं मगर दिल नही मरता

चाहत है सभी को कि इश्क़ ए बज्म में आए
दर्द ए पिन्हां हूं मगर पोशीदा दिल नहीं रहता

ए दनिश मंद तेरी हर चाल पर मैं कुर्बा
तूने दिल लिए लाख मगर दिल नही रखता

—12114