...

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तू मुझमें बाकी है.....
इंतजार वही करते हैं, जिनकी उम्मीद बाकी है।
अगर उम्मीद मर गई तो, तूं क्या ख़ाक बाकी है।

खुद को यूं खाली किया,खुद भी खुद में नहीं रहा।
खभी खभी यूं लगता है, कहीं तू अब भी बाकी है।

एक शख्स को पढ़ते पढ़ते, ओवर एज ही हो गए।
रिविज़न की दिल में है, वक्त गर अब भी बाकी है।

ले दे कर इक तुम ही तो थे, प्रॉपर्टी के नाम पर।
अब तो अपना कहने को, बस दम भर बाकी है।

© छगन सिंह जेरठी