एक सपना
ख्वाइशें तमाम है सीने में दफ़न मेरे,
एक ख्वाइश जिसका सपना रोज़ आये,
दिखता है पहले पहले सब धुँधला सा,
फ़िर दूर नज़र आता है अक्स तुम्हारा,
चमक उठती है आँखें तब सूरज सी,
खिल उठता है मन किसी उपवन सा,
आती हो जैसे...
एक ख्वाइश जिसका सपना रोज़ आये,
दिखता है पहले पहले सब धुँधला सा,
फ़िर दूर नज़र आता है अक्स तुम्हारा,
चमक उठती है आँखें तब सूरज सी,
खिल उठता है मन किसी उपवन सा,
आती हो जैसे...