...

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रुसवाई का आलम
एक तरफ तेरी ये दर्द से भरी रुसवाई का आलम,
दूसरी तरफ सागर में उफ़नता मंजर अब जाए कहाँ!

सब कुछ छोड़ कर,बस तेरे लिए दौड़े चली आई हूँ,
तुम कहते हो की अब मुझमे जीने की तमन्ना कहाँ!

तुमसे ही मेरे हर धड़कन की साँस चलती हैं कहते हो
मर गया वो इंसान प्यार में,मुझमे मेरा वो वज़ूद कहाँ!

तेरे लिए पूरा जीवन समपर्ण कर दीया आँसू की धार,
में तुम कहते हो आज तक मेरे लिए कुछ किया कहाँ!

मेरे हर अरमान, ख़्वाब,सपनों को कुर्बान,कर दिया कहता हैं अब तक जिल्लत की ज़िन्दगी जिया कहाँ!

यहाँ सब प्यार के दुश्मन भरे पड़े,हमारी जज़्बात से,
भरी बात को कोई ना ही सुनता और समझता कहाँ!
© Paswan@girl