रुसवाई का आलम
एक तरफ तेरी ये दर्द से भरी रुसवाई का आलम,
दूसरी तरफ सागर में उफ़नता मंजर अब जाए कहाँ!
सब कुछ छोड़ कर,बस तेरे लिए दौड़े चली आई हूँ,
तुम कहते हो की अब मुझमे जीने की तमन्ना कहाँ!
तुमसे ही मेरे हर धड़कन की साँस चलती हैं कहते हो...
दूसरी तरफ सागर में उफ़नता मंजर अब जाए कहाँ!
सब कुछ छोड़ कर,बस तेरे लिए दौड़े चली आई हूँ,
तुम कहते हो की अब मुझमे जीने की तमन्ना कहाँ!
तुमसे ही मेरे हर धड़कन की साँस चलती हैं कहते हो...